सावन में बेलपत्र का महत्व: क्यों हैं भगवान शिव को प्रिय?

हर वर्ष सावन का पवित्र महीना शिवभक्तों के लिए विशेष होता है। इस दौरान मंदिरों में “ॐ नमः शिवाय” की गूंज, गंगाजल से अभिषेक और बेलपत्र अर्पण की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बेलपत्र शिव को इतना प्रिय क्यों है? इस लेख में हम जानेंगे बेलपत्र की पौराणिक, आध्यात्मिक और औषधीय महत्ता।

शिव को इतना प्रिय क्यों है बेलपत्र…सावन

बेलपत्र और शिव – पौराणिक कथा

समुद्र मंथन की कथा के अनुसार जब हलाहल विष निकला, तो संपूर्ण सृष्टि संकट में आ गई। तभी भगवान शिव ने वह विष पी लिया और उनका गला नीला पड़ गया। इस कारण वे “नीलकंठ” कहलाए।

कहते हैं कि उस विष की ज्वाला को शांत करने के लिए देवताओं ने शिव को जल और बेलपत्र अर्पित किए, जिनमें शीतलता होती है। तभी से यह परंपरा आरंभ हुई और बेलपत्र शिव का प्रिय बन गया।

बेलपत्र के तीन पत्तों का महत्व

बेलपत्र की तीन जुड़ी हुई पत्तियाँ होती हैं, जिन्हें त्रिपत्री बेलपत्र कहा जाता है। इसका आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है:

  • ये त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक हैं।
  • यह त्रिगुण (सत्व, रज, तम) का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • इसे शिव के त्रिशूल और त्रिनेत्र से भी जोड़ा जाता है।

कहा जाता है कि जो भक्त शुद्ध मन से बेलपत्र चढ़ाता है, उसके तीन जन्मों के पापों का नाश हो जाता है

माता पार्वती और बेल वृक्ष का संबंध

शिवपुराण के अनुसार बेल वृक्ष का जन्म माता पार्वती के पसीने से हुआ। इस वृक्ष के विभिन्न अंग देवी के रूप में माने जाते हैं:

  • जड़ – गिरिजा
  • तना – माहेश्वरी
  • पत्तियाँ – पार्वती
  • पुष्प – गौरी
  • फल – कात्यायनी

इसी कारण बेल वृक्ष को देवीस्वरूप भी माना जाता है और इसे अत्यंत पवित्र माना गया है।

सावन में बेलपत्र अर्पण क्यों ज़रूरी?

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस दौरान विशेष रूप से सोमवार को बेलपत्र अर्पण करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस माह में बेलपत्र चढ़ाने से:

  • शिव अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं।
  • सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • रोगों व कष्टों से मुक्ति मिलती है।

बेलपत्र अर्पण करने के नियम

✅ शुद्ध त्रिपत्री बेलपत्र का प्रयोग करें

  • पत्तियाँ आपस में जुड़ी होनी चाहिए।
  • टूटी-फूटी या सूखी पत्तियाँ न चढ़ाएँ।

✅ चिकनी सतह शिवलिंग की ओर रखें

  • बेलपत्र की पत्तियों की चिकनी सतह (vein side) शिवलिंग पर रखी जाती है।

✅ विषम संख्या में चढ़ाएँ

  • 3, 5, 11, 21 या 108 की संख्या में बेलपत्र अर्पित करें।

✅ जल के साथ अर्पण करें

  • बेलपत्र चढ़ाने से पूर्व शिवलिंग पर जल या गंगाजल से अभिषेक करें।

✅ बेलपत्र तोड़ने के नियम

  • अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी, अष्टमी और सावन सोमवार के दिन बेलपत्र न तोड़ें।
  • सोमवार के लिए पत्तियाँ रविवार को ही तोड़कर रख लें।

बेलपत्र के आयुर्वेदिक व वास्तु लाभ

बेलपत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि औषधीय दृष्टिकोण से भी बेहद उपयोगी हैं:

  • यह शीतल, पाचक और मधुमेहरोधी होता है।
  • शरीर में विषैले तत्वों को निष्क्रिय करता है।
  • बेल वृक्ष का वातावरण शुद्ध करने में योगदान होता है।
  • वास्तु के अनुसार, घर में बेलपत्र रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

बेलपत्र, भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक ही नहीं, बल्कि पौराणिक परंपरा, आयुर्वेद और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम है। सावन के महीने में विधिपूर्वक बेलपत्र अर्पण करने से न केवल शिव कृपा प्राप्त होती है, बल्कि मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और पारिवारिक सुख की भी प्राप्ति होती है।

ॐ नमः शिवाय!
हर हर महादेव!

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