॥ श्री विश्वकर्मा आरती ॥ Shree Vishwakarma Aarti॥
Shree Vishwakarma Aarti के पाठ से भक्त के जीवन में समृद्धि, सफलता, और उत्तरोत्तर प्रगति की प्राप्ति होती है। भक्त इस आरती के द्वारा विश्वकर्मा भगवान के समर्थन में रहकर अपने श्रेष्ठता का प्रदर्शन करते हैं और उन्हें समस्त संसार की शुभकामनाएं प्रदान करते हैं।
विश्वकर्मा भगवान हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। वे ब्रह्मा देवता के रूप में माने जाते हैं, जिन्हें जगत के सृष्टिकर्ता और वास्तुकला के प्रमुख पितामह माना जाता है। विश्वकर्मा की आरती के पाठ से भक्तों को श्रद्धा, समर्थन, और संघटनशक्ति की प्राप्ति होती है।
Source: RDC Rajasthani
॥ श्री विश्वकर्मा आरती लिरिक्स ॥ Shree Vishwakarma Aarti॥
श्री विश्वकर्मा की आरती उन्हें समर्पित है, जिन्हें जगत के सृष्टिकर्ता और वास्तुकला के प्रमुख पितामह माना जाता है। भक्त इस आरती के द्वारा विश्वकर्मा भगवान के समर्थन में रहकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उन्हें शुभकामनाएं प्रदान करते हैं।
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को,
श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में,
ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से,
शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का,
सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने,
जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर,
दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति,
तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना,
विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,
सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का,
सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे,
अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती,
जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी,
सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥