Brihaspati Dev Aarti

॥ श्री जानकीनाथ की आरतीShree Jankinath Aarti

Brihaspati Dev Aarti

Shree Jankinath Aarti उनके भक्तों के द्वारा नियमित रूप से चालीसा और आरती के रूप में गाई जाती है। आरती एक प्रकार का धार्मिक संस्कृति और परंपरा है, जिसमें भगवान की पूजा और भक्ति का अभिवादन किया जाता है। जानकीनाथ जी की आरती को संगीत, भक्ति और समर्पण के भाव से भर दिया जाता है, जो उनके भक्तों के मन को शांति और प्रसन्नता से भर देता है।

आरती का पाठ भक्ति और श्रद्धा का संकेत है, जिससे भक्त के मन में आनंद और सुख का अनुभव होता है। Shree Jankinatha Aarti के पाठ से उनके भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है और उनके जीवन को समृद्धि और सफलता की दिशा में प्रवृत्ति मिलती है।

Source: Bhakti Ras

Brihaspati Dev Aarti

॥ श्री जानकीनाथ की आरती लिरिक्स ॥ Shree Jankinath Aarti Lyrics

Brihaspati Dev Aarti

श्री जानकीनाथ जी की आरती का महत्व भक्तों के जीवन में धार्मिकता, समृद्धि, सफलता, और आनंद को लाने में साहायक होता है और उन्हें भगवान के साथ आत्मीय जुड़ाव का अनुभव कराता है।

ॐ जय जानकीनाथा,
जय श्री रघुनाथा ।
दोउ कर जोरें बिनवौं,
प्रभु! सुनिये बाता ॥ ॐ जय..॥

तुम रघुनाथ हमारे,
प्राण पिता माता ।
तुम ही सज्जन-संगी,
भक्ति मुक्ति दाता ॥ ॐ जय..॥

लख चौरासी काटो,
मेटो यम त्रासा ।
निशदिन प्रभु मोहि रखिये,
अपने ही पासा ॥ ॐ जय..॥

राम भरत लछिमन,
सँग शत्रुहन भैया ।
जगमग ज्योति विराजै,
शोभा अति लहिया ॥ ॐ जय..॥

हनुमत नाद बजावत,
नेवर झमकाता ।
स्वर्णथाल कर आरती,
करत कौशल्या माता ॥ ॐ जय..॥

सुभग मुकुट सिर, धनु सर,
कर शोभा भारी ।
मनीराम दर्शन करि,
पल-पल बलिहारी ॥ ॐ जय..॥

जय जानकिनाथा,
हो प्रभु जय श्री रघुनाथा ।
हो प्रभु जय सीता माता,
हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता ॥ ॐ जय..॥

हो प्रभु जय चारौं भ्राता,
हो प्रभु जय हनुमत दासा ।
दोउ कर जोड़े विनवौं,
प्रभु मेरी सुनो बाता ॥ ॐ जय..॥

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