॥ श्री गंगा आरती ॥ Shree Ganga Aarti॥
Shree Ganga Aarti को हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। गंगा नदी हिंदू संस्कृति में एक पवित्र और प्रमुख नदी मानी जाती है, और इसकी पूजा-अर्चना से भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। गंगा आरती नदी माँ के सम्मान में किया जाने वाला एक धार्मिक और उपास्य अभिनंदन है।
आरती के द्वारा हम गंगा माँ की स्तुति करते हैं और उनके दिव्य गुणों का गुणगान करते हैं। गंगा आरती को गाने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और समृद्धि मिलती है, और हमारे मन को शुद्ध करते हुए हमें ध्यान और धारणा की भावना से परिपूर्ण बनाती है।
Shree Ganga Aarti के द्वारा हम गंगा माँ के समक्ष भक्ति और श्रद्धा भाव से प्रस्तुत होते हैं और उनसे कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह आरती हमें अपने अंतरंग स्वरूप को पहचानने की प्रेरणा देती है, और हमारे मन को शुद्ध करते हुए हमें धार्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती है।
Source: Bhajan Shrinkhla
॥ श्री गंगा आरती लिरिक्स ॥ Shree Ganga Aarti॥
श्री गंगा आरती को गाने से हमारे जीवन में ध्यान, शांति, और समृद्धि का अनुभव होता है और हम गंगा माँ के दिव्य आशीर्वाद से धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करते हैं। गंगा माँ के पवित्रता और शक्ति के दर्शन से हमारे मन को प्रशांत बनाकर हमें अपने जीवन को धार्मिकता और सच्चाई से भर देती हैं।
॥ श्री गंगा मैया आरती ॥
नमामि गंगे ! तव पाद पंकजम्,
सुरासुरैः वंदित दिव्य रूपम् ।
भक्तिम् मुक्तिं च ददासि नित्यं,
भावानुसारेण सदा नराणाम् ॥
हर हर गंगे, जय माँ गंगे,
हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी,
जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी,
सो नर तर जाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
एक ही बार जो तेरी,
शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर,
परमगति पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
आरती मात तुम्हारी,
जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में,
मुक्त्ति को पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।