श्री काली चालीसा (Shree Kali Chalisa) Hindi PDF Download
Kali Chalisa एक प्रसिद्ध हिंदी धार्मिक स्तोत्र है, जो मां काली की महिमा और उनके उग्र और शक्तिशाली स्वरूप की प्रशंसा करता है। मां काली भगवती को संहारकारी, संसार-सागर से पार करने वाली और उत्तराखंड की सर्वशक्तिमान माँ कहा जाता है। Kali Chalisa को विशेषकर नवरात्रि और काली पूजा जैसे धार्मिक उत्सवों पर भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है।
Source: Bhajan Shrinkhla
॥ श्री काली चालीसा लिरिक्स ॥ Shree Kali Chalisa Lyrics॥
॥ दोहा॥
जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥
॥ चौपाई ॥
अरि मद मान मिटावन हारी ।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता ।
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।
कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥4॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी ।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
अष्टम कर भक्तन वर दाता ।
जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी ।
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥8॥
महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।
तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक ।
कल्याणी पापी कुल घालक ॥
शेष सुरेश न पावत पारा ।
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा ।
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥12॥
रूप भयंकर जब तुम धारा ।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्तजनों के संकट टारे ॥
कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।
भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं ।
नारद शारद पार न पावैं ॥16॥
भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता ।
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥20॥
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।
अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी ।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
त्रेता में रघुवर हित आई ।
दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला ।
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥24॥
रौद्र रूप लखि दानव भागे ।
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
ये बालक लखि शंकर आए ।
राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई ।
यही रूप प्रचलित है माई ॥28॥
बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की ।
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥15॥
तब प्रगटी निज सैन समेता ।
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥32॥
मान मथनहारी खल दल के ।
सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा ।
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥17॥
संकट में जो सुमिरन करहीं ।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥36॥
काली चालीसा जो पढ़हीं ।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
करहु मातु भक्तन रखवाली ।
जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥40॥
॥ दोहा ॥
प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥
श्री Kali Chalisa की महत्वपूर्ण विशेषताएं
Kali Chalisa एक प्रसिद्ध हिंदी धार्मिक स्तोत्र है, जो मां काली की महिमा और उनके उग्र और शक्तिशाली स्वरूप की प्रशंसा करता है। मां काली भगवती को संहारकारी, संसार-सागर से पार करने वाली और उत्तराखंड की सर्वशक्तिमान माँ कहा जाता है। Kali Chalisa को विशेषकर नवरात्रि और काली पूजा जैसे धार्मिक उत्सवों पर भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है।
शक्ति के प्राप्ति: Kali Chalisa के पाठ से मां काली की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को शक्ति, साहस और समर्थता की प्राप्ति होती है।
भयहारिण रूप की प्राप्ति: Kali Chalisa के पाठ से भक्त को मां काली के भयहारिण और उग्र रूप का अनुभव होता है और उन्हें सब प्रकार के भयों से मुक्ति मिलती है।
संसार-सागर से पार करने की शक्ति: Kali Chalisa के पाठ से भक्त को संसार-सागर से पार करने की शक्ति प्राप्त होती है और उन्हें संसार में संचार करने का समर्थन मिलता है।
धार्मिक अर्थ: Kali Chalisa धार्मिकता, भक्ति और शक्ति के मार्ग में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करती है।
संकट से मुक्ति: Kali Chalisa के पाठ से भक्त को संकटों से मुक्ति मिलती है और उन्हें मां काली की कृपा से संपूर्ण सुरक्षा मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति: Kali Chalisa के पाठ से भक्त के आत्मा में आध्यात्मिक उन्नति और संवेदना का संबल विकसित होता है।
इस प्रकार, Kali Chalisa मां काली के भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक पाठ है, जो उन्हें शक्ति, साहस, संसार-सागर से पार करने की क्षमता, संकट से मुक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।