Brihaspati Dev Aarti

॥ एकादशी माता की आरतीEkadashi Mata Ki Aarti

Brihaspati Dev Aarti

Ekadashi Mata Ki Aarti हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। एकादशी माता को सुख, समृद्धि, और अभीष्ट फल की देवी माना जाता है, और उन्हें मनोरथ सिद्ध करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। एकादशी माता की आरती के पाठ से भक्तों को धर्म, भक्ति, और समस्त कल्याण की प्राप्ति होती है।

Ekadashi Mata Ki Aarti के पाठ से भक्त के जीवन में शुभचिंतक, शांति, और आनंद की प्राप्ति होती है। भक्त इस आरती के द्वारा एकादशी माता के समर्थन में रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और उनसे समस्त कष्टों का निवारण प्राप्त करते हैं।

Source: Vinod Pandey

Brihaspati Dev Aarti

॥ एकादशी माता की आरती लिरिक्स ॥ Ekadashi Mata Ki Aarti Lyrics

Brihaspati Dev Aarti

एकादशी माता की आरती भक्तों के दिलों में धार्मिक उत्साह और भक्ति की भावना को जगाती है और उन्हें समस्त कष्टों से मुक्ति और उन्नति की प्राप्ति होती है। एकादशी का व्रत भक्त के जीवन को सफलता और शुभकामनाओं से भर देता है और उन्हें धार्मिक आदर्शों के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥

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