श्री भैरव चालीसा (Shree Bhairav Chalisa) Hindi PDF Download
Bhairav Chalisa एक प्रसिद्ध हिंदी धार्मिक स्तोत्र है, जो भगवान भैरव (महाकाल) की महिमा और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करता है। भगवान भैरव हिंदू धर्म में शिव के एक अवतार माने जाते हैं और उन्हें काल भी कहा जाता है। Bhairav Chalisa को विशेषकर काली चतुर्दशी और शिवरात्रि जैसे धार्मिक अवसर पर भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है।
Source: Bhajan Shrinkhla
॥ श्री भैरव चालीसा लिरिक्स ॥ Shree Bhairav Chalisa Lyrics॥
॥ दोहा॥
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय श्री काली के लाला ।
जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक-भैरव भय हारी ।
जयति काल-भैरव बलकारी ॥
जयति नाथ-भैरव विख्याता ।
जयति सर्व-भैरव सुखदाता ॥
भैरव रूप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो ।
काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत ।
बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत ।
दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो ।
कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली ।
दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत ।
बम बम बम शिव बम बम बोलत ॥
रुद्रकाय काली के लाला ।
महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा ।
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।
जय उन्नत हर उमा नन्द जय ॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय ।
वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महा भीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय ॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर ।
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावत ॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।
काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
देयं काल भैरव जब सोटा ।
नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जनकर निर्मल होय शरीरा ।
मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतों के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुख निवारयो ।
सदा कृपाकरि काज सम्हारयो ॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ॥
॥ दोहा ॥
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार ॥
श्री Bhairav Chalisa की महत्वपूर्ण विशेषताएं
Bhairav Chalisa एक प्रसिद्ध हिंदी धार्मिक स्तोत्र है, जो भगवान भैरव (महाकाल) की महिमा और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करता है। भगवान भैरव हिंदू धर्म में शिव के एक अवतार माने जाते हैं और उन्हें काल भी कहा जाता है। Bhairav Chalisa को विशेषकर काली चतुर्दशी और शिवरात्रि जैसे धार्मिक अवसर पर भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है।
भगवान की प्रशंसा: Bhairav Chalisa के पाठ से भक्त भगवान भैरव की प्रशंसा करते हैं और उनके दिव्य गुणों की स्तुति करते हैं।
काली चतुर्दशी और शिवरात्रि: Bhairav Chalisa को काली चतुर्दशी और शिवरात्रि जैसे धार्मिक अवसर पर पाठ करने से भक्तों को भगवान भैरव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भैरव की कृपा: Bhairav Chalisa के पाठ से भक्त को भगवान भैरव की कृपा और आशीर्वाद मिलता है, जो उन्हें सुख, समृद्धि, और समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रेरित करता है।
संकट नाशन: Bhairav Chalisa के पाठ से भक्तों को संकटों से निजात मिलती है। मान्यता है कि भगवान भैरव की कृपा से भक्त के सभी संकट और दुर्भाग्य नष्ट हो जाते हैं।
धर्मिक सम्मान: Bhairav Chalisa के पाठ से भक्त की धर्मिक सम्मानता विकसित होती है और उन्हें धर्मिक कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने का बोध होता है।
इस प्रकार, Bhairav Chalisa काली चतुर्दशी और शिवरात्रि जैसे धार्मिक अवसरों पर भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक पाठ है, जो उन्हें भगवान भैरव की महिमा, कृपा, संकट नाशन, और धर्मिक सम्मानता के लिए प्रेरित करता है।