Brihaspati Dev Aarti

॥ श्री सूर्य देव आरतीShree Surya Dev Aarti

Brihaspati Dev Aarti

Shree Surya Dev Aarti का सूर्योपासना में विशेष महत्व है। सूर्य देव भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जिन्हें भगवान विष्णु के एक अवतार के रूप में भी पूजा जाता है। सूर्य देव के साथ सूर्योपासना करने से शरीर, मन, और आत्मा के लिए बहुत सारे लाभ होते हैं।

आरती के द्वारा हम सूर्य देव की स्तुति और भक्ति करते हैं जिससे हमारे मन को शांति मिलती है और हमारे जीवन में सुख-शांति का अनुभव होता है। सूर्य देव की आरती के द्वारा हम उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनके कृपा से हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों में समृद्धि आती है।

Source: Bhajan Shrinkhla

Brihaspati Dev Aarti

॥ श्री सूर्य देव आरती लिरिक्स ॥ Shree Surya Dev Aarti Lyrics॥

Brihaspati Dev Aarti

श्री Surya Dev Aarti का पाठ करने से हमें आत्मिक और शारीरिक रूप से बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं और हमारा जीवन समृद्धि, सुख, शांति, और सम्पन्नता से परिपूर्ण होता है।

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

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