॥ शीतला माता की आरती ॥ Sheetla Mata Ki Aarti॥
Sheetla Mata Ki Aarti को हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। शीतला माता मां भगवती के एक रूप में पूजी जाती हैं और उनकी आरती से भक्तों को रोगनाशक शक्ति मिलती है। शीतला माता की आरती उनके भक्तों द्वारा भक्तिभाव से गाई जाती है और उनके सम्मान में किया जाने वाला एक प्रमुख अभिनंदन है।
शीतला माता की आरती के द्वारा हम उन्हें स्तुति करते हैं और उनके दिव्य गुणों का गुणगान करते हैं। आरती के द्वारा हम उनकी कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुरक्षित बनाते हैं।
Sheetla Mata Ki Aarti गाने से उनके भक्तों को भयहीनता का अनुभव होता है और उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके द्वारा हम अपने अंतरंग स्वरूप को पहचानते हैं और शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
Source: Bhakti Bhajan Sagar
॥ शीतला माता की आरती लिरिक्स ॥ Sheetla Mata Ki Aarti Lyrics॥
Sheetla Mata Ki Aarti को गाने से हमारे जीवन में ध्यान, शांति, और सुख का अनुभव होता है और हम अपने भगवान के कृपा से रोगमुक्त, सुरक्षित, और समृद्ध जीवन जी सकते हैं। शीतला माता की आरती के प्रयोग से हम उनके पवित्रता और आशीर्वाद का अनुभव करते हैं और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन को सफलता के मार्ग पर चलाते हैं।
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
रतन सिंहासन शोभित,
श्वेत छत्र भाता ।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें,
जगमग छवि छाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
विष्णु सेवत ठाढ़े,
सेवें शिव धाता ।
वेद पुराण वरणत,
पार नहीं पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
इन्द्र मृदङ्ग बजावत,
चन्द्र वीणा हाथा ।
सूरज ताल बजावै,
नारद मुनि गाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
घण्टा शङ्ख शहनाई,
बाजै मन भाता ।
करै भक्तजन आरती,
लखि लखि हर्षाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
ब्रह्म रूप वरदानी,
तुही तीन काल ज्ञाता ।
भक्तन को सुख देती,
मातु पिता भ्राता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
जो जन ध्यान लगावे,
प्रेम शक्ति पाता ।
सकल मनोरथ पावे,
भवनिधि तर जाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
रोगों से जो पीड़ित कोई,
शरण तेरी आता ।
कोढ़ी पावे निर्मल काया,
अन्ध नेत्र पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
बांझ पुत्र को पावे,
दारिद्र कट जाता ।
ताको भजै जो नाहीं,
सिर धुनि पछताता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
शीतल करती जननी,
तू ही है जग त्राता ।
उत्पत्ति व्याधि बिनाशन,
तू सब की घाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
दास विचित्र कर जोड़े,
सुन मेरी माता ।
भक्ति आपनी दीजै,
और न कुछ भाता ॥
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥