Brihaspati Dev Aarti

॥ श्री शनि देव आरतीShree Shani Dev Aarti

Brihaspati Dev Aarti

Shree Shani Dev Aarti भगवान शनि की पूजा-अर्चना का एक महत्वपूर्ण अंग है। भगवान शनि को न्यायधीश और धर्मराज के स्वरूप में पूजा जाता है और उन्हें प्रसन्न करने से सभी दुःखों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

Shree Shani Dev Aarti के पाठ से मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है। यह हमें धैर्य, संयम, और सहिष्णुता की भावना से भर देता है और हमारे मन को प्रशांत बनाता है।

श्री शनिदेव आरती का पाठ करने से भक्त के संघर्षों का समाधान होता है और उन्हें अधिक सफलता की प्राप्ति होती है। भगवान शनि भक्त को सभी प्रकार की आपदा और बाधाओं से बचाते हैं और उन्हें नई ऊंचाइयों की प्राप्ति के लिए प्रेरित करते हैं।

Source: Shemaroo Bhakti

Brihaspati Dev Aarti

॥ श्री शनि देव आरती लिरिक्स ॥ Shree Shani Dev Aarti Lyrics॥

Brihaspati Dev Aarti

श्री शनिदेव आरती को प्रार्थना, ध्यान, और भक्ति का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है, जो हमें शनि भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होता है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति और शनि भगवान के अनुग्रह की प्राप्ति होती है।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,
करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥

जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,
घोर कष्ट वह पावे ।
धन वैभव और मान-कीर्ति,
सब पलभर में मिट जावे ।
राजा नल को लगी शनि दशा,
राजपाट हर लेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥

जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,
सकल सिद्धि वह पावे ।
तुम्हारी कृपा रहे तो,
उसको जग में कौन सतावे ।
ताँबा, तेल और तिल से जो,
करें भक्तजन सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥

हर शनिवार तुम्हारी,
जय-जय कार जगत में होवे ।
कलियुग में शनिदेव महात्तम,
दु:ख दरिद्रता धोवे ।
करू आरती भक्ति भाव से,
भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥

॥ श्री शनि देव आरती-2 ॥

चार भुजा तहि छाजै,
गदा हस्त प्यारी ।
जय शनिदेव जी ॥

रवि नन्दन गज वन्दन,
यम अग्रज देवा ।
कष्ट न सो नर पाते,
करते तब सेवा ॥
जय शनिदेव जी ॥

तेज अपार तुम्हारा,
स्वामी सहा नहीं जावे ।
तुम से विमुख जगत में,
सुख नहीं पावे ॥
जय शनिदेव जी ॥

नमो नमः रविनन्दन,
सब ग्रह सिरताजा ।
बन्शीधर यश गावे,
रखियो प्रभु लाजा ॥
जय शनिदेव जी ॥

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श्री शनि देव आरती (Shree Shani Dev Aarti) Hindi PDF Download

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