श्रावण मास यानी सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस महीने के सोमवार को रखा जाने वाला सावन सोमवार व्रत विशेष फलदायी होता है। इस दिन शिवभक्त पूरे दिन व्रत रखकर भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करते हैं, व्रत कथा सुनते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। इस लेख में जानिए सावन सोमवार 2025 की तिथियाँ, व्रत की सही विधि, पूजा का तरीका और व्रत कथा।
सावन सोमवार 2025 की तिथियाँ (Sawan Somvar Dates 2025)
सावन सोमवार व्रत 2025 में इस प्रकार होंगे:
सोमवार | तिथि (2025) |
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पहला सोमवार | 7 जुलाई |
दूसरा सोमवार | 14 जुलाई |
तीसरा सोमवार | 21 जुलाई |
चौथा सोमवार | 28 जुलाई |
पाँचवाँ सोमवार | 4 अगस्त |
इन सभी दिनों में व्रत रखना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
सावन सोमवार व्रत की विधि (Sawan Somvar Vrat Vidhi)
1. प्रातःकाल उठकर स्नान करें
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। घर या मंदिर में शिवलिंग की स्थापना करें।
2. व्रत का संकल्प लें
दाहिने हाथ में जल, फूल और चावल लेकर शिवजी का नाम लेते हुए व्रत का संकल्प करें –
“हे भोलेनाथ! मैं श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत रख रहा/रही हूँ, कृपया मेरी मनोकामनाएं पूर्ण करें।”
3. शिवलिंग का अभिषेक करें
शिवलिंग को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान कराएँ। फिर बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, चंदन, रोली, और अक्षत अर्पित करें।
4. मंत्र जाप करें
- ॐ नमः शिवाय – 108 बार
- महामृत्युंजय मंत्र
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्…”
5. शिव व्रत कथा पढ़ें या सुनें
सावन सोमवार की व्रत कथा पढ़ना अत्यंत आवश्यक है। यह व्रत को पूर्ण बनाता है।
6. आरती करें और प्रसाद बांटें
दीपक, अगरबत्ती जलाकर “ॐ जय शिव ओंकारा…” की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
7. फलाहार करें और संयम रखें
व्रतधारी दिन भर फलाहार करें और सात्विक आहार लें। शाम को दोबारा पूजा करें और रात्रि में फलाहार कर सकते हैं।
सावन सोमवार की कथा (Sawan Somvar Vrat Katha in Hindi)
बहुत समय पहले की बात है। एक नगर में एक साहूकार (धनवान व्यापारी) रहता था। उसके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी, परंतु उसकी एक ही चिंता थी कि उसकी कोई संतान नहीं थी। उसने कई व्रत-उपवास किए, तीर्थ यात्रा की, लेकिन संतान प्राप्ति नहीं हुई। अंततः एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ महादेव के मंदिर गया और वहां पूरे भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा की। दोनों ने शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और दूध चढ़ाया और भगवान शिव से संतान प्राप्ति का वरदान मांगा।
भोलेनाथ अपने भक्तों की सच्ची भक्ति से प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होगी, लेकिन वह पुत्र केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।
कुछ समय बाद साहूकार के घर एक सुंदर पुत्र ने जन्म लिया। पूरे नगर में खुशी का माहौल छा गया। पुत्र के जन्म पर सभी ने उत्सव मनाया। समय के साथ वह बालक बड़ा होने लगा। जब वह 11 वर्ष का हुआ, तब साहूकार को शिवजी द्वारा दिया गया वरदान याद आया और उसे चिंता होने लगी।
साहूकार ने एक बुद्धिमान पंडित को बुलाया और पुत्र के जीवन की रक्षा का उपाय पूछा। पंडित ने सलाह दी कि बालक को शिव भक्ति में लगा दो और उसके साथ एक शिवभक्त ब्राह्मण को यात्रा पर भेज दो। यात्रा के दौरान वह शिवलिंग की पूजा करता रहे और सोमवार का व्रत भी रखे।
साहूकार ने वैसा ही किया। बालक को पढ़ाई के बहाने काशी भेजा गया और साथ में एक ब्राह्मण भी गया। रास्ते में वे जहां भी रुकते, वहां बालक सोमवार का व्रत करता, शिव मंदिर में जल चढ़ाता और शिव आराधना करता।
एक दिन वे एक नगर में पहुंचे, जहां राजा की बेटी का विवाह हो रहा था। परंतु राजकुमारी के लिए कोई भी योग्य वर नहीं मिल पा रहा था। तभी राज ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की कि जो पहला ब्राह्मण कन्या के द्वार के सामने आएगा, वही उसका भाग्यविधाता है। जैसे ही साहूकार का पुत्र वहां से गुजरा, कन्या के गले में वरमाला डाल दी गई। सभी लोग चकित रह गए।
अब राजा को जब पता चला कि वह बालक तो एक व्यापारी का पुत्र है, तो उसने क्रोधित होकर उसे कारागार में डालने की योजना बनाई। लेकिन उसी रात भगवान शिव ने राजा को स्वप्न में आकर कहा कि वह बालक कोई साधारण मानव नहीं, मेरा परम भक्त है। उसे सम्मानपूर्वक विवाह की स्वीकृति दी जाए।
राजा ने तुरंत सुबह बालक को बुलवाया, क्षमा मांगी और राजकुमारी से उसका विवाह बड़े धूमधाम से करवाया।
इसके बाद जब बालक का 12वां जन्मदिन आया, तब वह शिवलिंग के सामने बैठा था और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कर रहा था। तभी यमराज उसके प्राण लेने आए, परंतु शिव भक्ति के प्रभाव से यमराज कुछ नहीं कर पाए। उसी समय भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और अपने भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे दीर्घायु का वरदान दिया।
व्रत के लाभ
योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति
मानसिक शांति और आत्मिक बल
रोगों से मुक्ति और आरोग्यता
शिव कृपा से समस्त दुखों का अंत
सावधानियाँ – व्रत में क्या न करें
मांसाहार, लहसुन, प्याज का सेवन न करें
दिन में क्रोध, निंदा, झूठ से बचें
पूजा में तुलसी, हल्दी और केतकी फूल न चढ़ाएँ
पूजा के समय मोबाइल/टीवी से दूर रहें
पूजा सामग्री सूची
गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी
बेलपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प
चंदन, रोली, अक्षत
दीपक, अगरबत्ती, कपूर
फल, मिठाई, पंचामृत
शिव चालीसा/रुद्राष्टक/महामृत्युंजय मंत्र
सावन सोमवार 2025 एक दिव्य अवसर है शिव भक्ति में लीन होने का। अगर आप व्रत को विधिपूर्वक और श्रद्धा से करते हैं, तो भगवान शिव अवश्य प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है।
भोलेनाथ की कृपा से यह सावन आपके लिए मंगलमय और फलदायी हो!
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