श्री संतोषी चालीसा (Shree Santoshi Chalisa) Hindi PDF Download
Santoshi Chalisa एक प्रसिद्ध हिंदी धार्मिक स्तोत्र है, जो माँ संतोषी माता की महिमा और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करता है। माँ संतोषी माता हिंदू धर्म में भगवान गणेश की व्रतवती संतान मानी जाती हैं और उन्हें भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली माँ माना जाता है। Santoshi Chalisa को विशेषकर शुक्रवार के दिन और उनके व्रत के दौरान पढ़ने से भक्तों को माँ संतोषी माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Source: Bhajan Shrinkhla
॥ श्री संतोषी चालीसा लिरिक्स ॥ Shree Santoshi Chalisa Lyrics॥
॥ दोहा॥
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार ।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार ॥
भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥
॥ चौपाई ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम ।
शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा ।
वेश मनोहर ललित अनुपा ॥
श्वेताम्बर रूप मनहारी ।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन ।
दर्शन से हो संकट मोचन ॥ 4 ॥
जय गणेश की सुता भवानी ।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया ।
सब पर करो कृपा की छाया ॥
नाम अनेक तुम्हारे माता ।
अखिल विश्व है तुमको ध्याता ॥
तुमने रूप अनेकों धारे ।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे ॥ 8 ॥
धाम अनेक कहाँ तक कहिये ।
सुमिरन तब करके सुख लहिये ॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी ।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ॥
कलकत्ते में तू ही काली ।
दुष्ट नाशिनी महाकराली ॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती ।
भक्तजनों का दुःख मिटाती ॥ 12 ॥
ज्वाला जी में ज्वाला देवी ।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी ॥
नगर बम्बई की महारानी ।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी ॥
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो ।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो ॥
राजनगर में तुम जगदम्बे ।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे ॥ 16 ॥
पावागढ़ में दुर्गा माता ।
अखिल विश्व तेरा यश गाता ॥
काशी पुराधीश्वरी माता ।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता ॥
सर्वानन्द करो कल्याणी ।
तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में ।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ॥ 20 ॥
जेते ऋषि और मुनीशा ।
नारद देव और देवेशा ।
इस जगती के नर और नारी ।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ॥
जापर कृपा तुम्हारी होती ।
वह पाता भक्ति का मोती ॥
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता ।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ॥ 24 ॥
जो जन तुम्हरी महिमा गावै ।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ॥
जो मन राखे शुद्ध भावना ।
ताकी पूरण करो कामना ॥
कुमति निवारि सुमति की दात्री ।
जयति जयति माता जगधात्री ॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन ।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन ॥ 28 ॥
गुड़ छोले का भोग लगावै ।
कथा तुम्हारी सुने सुनावै ॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी ।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी ॥
शक्ति-सामरथ हो जो धनको ।
दान-दक्षिणा दे विप्रन को ॥
वे जगती के नर औ नारी ।
मनवांछित फल पावें भारी ॥ 32 ॥
जो जन शरण तुम्हारी जावे ।
सो निश्चय भव से तर जावे ॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे ।
निश्चय मनवांछित वर पावै ॥
सधवा पूजा करे तुम्हारी ।
अमर सुहागिन हो वह नारी ॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा ।
भवसागर से उतरे पारा ॥ 36 ॥
जयति जयति जय संकट हरणी ।
विघ्न विनाशन मंगल करनी ॥
हम पर संकट है अति भारी ।
वेगि खबर लो मात हमारी ॥
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता ।
देह भक्ति वर हम को माता ॥
यह चालीसा जो नित गावे ।
सो भवसागर से तर जावे ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास ।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास ॥
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥
श्री Santoshi Chalisa की महत्वपूर्ण विशेषताएं
Santoshi Chalisa चालीसा एक प्रसिद्ध हिंदी धार्मिक स्तोत्र है, जो माँ संतोषी माता की महिमा और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करता है। माँ संतोषी माता हिंदू धर्म में भगवान गणेश की व्रतवती संतान मानी जाती हैं और उन्हें भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली माँ माना जाता है। Santoshi Chalisa को विशेषकर शुक्रवार के दिन और उनके व्रत के दौरान पढ़ने से भक्तों को माँ संतोषी माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माँ की प्रशंसा: Santoshi Chalisa के पाठ से भक्त माँ संतोषी माता की प्रशंसा करते हैं और उनके दिव्य गुणों की स्तुति करते हैं।
व्रत की महिमा: Santoshi Chalisa को शुक्रवार के दिन और संतोषी माता के व्रत के दौरान पढ़ने से भक्तों को व्रत की महिमा और माँ संतोषी माता के आशीर्वाद का लाभ मिलता है।
मनोकामनाओं की पूर्ति: Santoshi Chalisa के पाठ से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ति होती हैं और उन्हें समृद्धि, सुख, और सम्पन्नता की प्राप्ति होती है।
धर्मिक सम्मान: Santoshi Chalisa के पाठ से भक्त की धर्मिक सम्मानता विकसित होती है और उन्हें धर्मिक कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने का बोध होता है।
भक्ति और श्रद्धा: Santoshi Chalisa के पाठ से भक्त की भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है और उन्हें माँ संतोषी माता के प्रति अधिक समर्पित होने का अनुभव होता है।
इस प्रकार, Santoshi Chalisa शुक्रवार के दिन और संतोषी माता के व्रत के दौरान भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक पाठ है, जो उन्हें माँ संतोषी माता की महिमा, व्रत की महिमा, मनोकामनाओं की पूर्ति, धर्मिक सम्मान, भक्ति, और श्रद्धा के लिए प्रेरित करता है।