श्री झूलेलाल चालीसा (Shree Jhulelal Chalisa) Hindi PDF Download
श्री Jhulelal Chalisa एक प्रसिद्ध सिन्धी धर्मिक स्तोत्र है, जो झूलेलाल जी या सैंट उधरदास जी की महिमा और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करता है। झूलेलाल जी सिन्धी समुदाय के प्रमुख देवता माने जाते हैं और उन्हें समुदाय के रक्षक और प्रसन्नता के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। झूलेलाल जी की प्रसन्नता से अधिकांश सिन्धी लोग विशेष अवसरों पर उन्हें भक्ति और पूजा करते हैं। Jhulelal Chalisa को विशेषकर झूलेलाल जयंती, छठी और पिठोरा महोत्सव जैसे धार्मिक अवसर पर भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है।
Source: Jai Jhulelal
॥ श्री झूलेलाल चालीसा लिरिक्स ॥ Shree Jhulelal Chalisa Lyrics॥
॥ दोहा॥
जय जय जल देवता, जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उडेरो लाल जय, झुलेलाल अनूप ॥
॥ चौपाई ॥
रतनलाल रतनाणी नंदन ।
जयति देवकी सुत जग वंदन ॥
दरियाशाह वरुण अवतारी ।
जय जय लाल साईं सुखकारी ॥
जय जय होय धर्म की भीरा ।
जिन्दा पीर हरे जन पीरा ॥
संवत दस सौ सात मंझरा ।
चैत्र शुक्ल द्वितिया भगऊ वारा ॥4॥
ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा ।
प्रभु अवतरे हरे जन कलेशा ॥
सिन्धु वीर ठट्ठा राजधानी ।
मिरखशाह नऊप अति अभिमानी ॥
कपटी कुटिल क्रूर कूविचारी ।
यवन मलिन मन अत्याचारी ॥
धर्मान्तरण करे सब केरा ।
दुखी हुए जन कष्ट घनेरा ॥8॥
पिटवाया हाकिम ढिंढोरा ।
हो इस्लाम धर्म चाहुँओरा ॥
सिन्धी प्रजा बहुत घबराई ।
इष्ट देव को टेर लगाई ॥
वरुण देव पूजे बहुंभाती ।
बिन जल अन्न गए दिन राती ॥
सिन्धी तीर सब दिन चालीसा ।
घर घर ध्यान लगाये ईशा ॥12॥
गरज उठा नद सिन्धु सहसा ।
चारो और उठा नव हरषा ॥
वरुणदेव ने सुनी पुकारा ।
प्रकटे वरुण मीन असवारा ॥
दिव्य पुरुष जल ब्रह्मा स्वरुपा ।
कर पुष्तक नवरूप अनूपा ॥
हर्षित हुए सकल नर नारी ।
वरुणदेव की महिमा न्यारी ॥16॥
जय जय कार उठी चाहुँओरा ।
गई रात आने को भौंरा ॥
मिरखशाह नऊप अत्याचारी ।
नष्ट करूँगा शक्ति सारी ॥
दूर अधर्म, हरण भू भारा ।
शीघ्र नसरपुर में अवतारा ॥
रतनराय रातनाणी आँगन ।
खेलूँगा, आऊँगा शिशु बन ॥20॥
रतनराय घर ख़ुशी आई ।
झुलेलाल अवतारे सब देय बधाई ॥
घर घर मंगल गीत सुहाए ।
झुलेलाल हरन दुःख आए ॥
मिरखशाह तक चर्चा आई ।
भेजा मंत्री क्रोध अधिकाई ॥
मंत्री ने जब बाल निहारा ।
धीरज गया हृदय का सारा ॥24॥
देखि मंत्री साईं की लीला ।
अधिक विचित्र विमोहन शीला ॥
बालक धीखा युवा सेनानी ।
देखा मंत्री बुद्धि चाकरानी ॥
योद्धा रूप दिखे भगवाना ।
मंत्री हुआ विगत अभिमाना ॥
झुलेलाल दिया आदेशा ।
जा तव नऊपति कहो संदेशा ॥28॥
मिरखशाह नऊप तजे गुमाना ।
हिन्दू मुस्लिम एक समाना ॥
बंद करो नित्य अत्याचारा ।
त्यागो धर्मान्तरण विचारा ॥
लेकिन मिरखशाह अभिमानी ।
वरुणदेव की बात न मानी ॥
एक दिवस हो अश्व सवारा ।
झुलेलाल गए दरबारा ॥32॥
मिरखशाह नऊप ने आज्ञा दी ।
झुलेलाल बनाओ बन्दी ॥
किया स्वरुप वरुण का धारण ।
चारो और हुआ जल प्लावन ॥
दरबारी डूबे उतराये ।
नऊप के होश ठिकाने आये ॥
नऊप तब पड़ा चरण में आई ।
जय जय धन्य जय साईं ॥36॥
वापिस लिया नऊपति आदेशा ।
दूर दूर सब जन क्लेशा ॥
संवत दस सौ बीस मंझारी ।
भाद्र शुक्ल चौदस शुभकारी ॥
भक्तो की हर आधी व्याधि ।
जल में ली जलदेव समाधि ॥
जो जन धरे आज भी ध्याना ।
उनका वरुण करे कल्याणा ॥40॥
॥ दोहा ॥
चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय ।
पावे मनवांछित फल अरु जीवन सुखमय होय ॥
॥ ॐ श्री वरुणाय नमः ॥
श्री Jhulelal Chalisa की महत्वपूर्ण विशेषताएं
श्री Jhulelal Chalisa एक प्रसिद्ध सिन्धी धर्मिक स्तोत्र है, जो झूलेलाल जी या सैंट उधरदास जी की महिमा और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करता है। झूलेलाल जी सिन्धी समुदाय के प्रमुख देवता माने जाते हैं और उन्हें समुदाय के रक्षक और प्रसन्नता के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। झूलेलाल जी की प्रसन्नता से अधिकांश सिन्धी लोग विशेष अवसरों पर उन्हें भक्ति और पूजा करते हैं। Jhulelal Chalisa को विशेषकर झूलेलाल जयंती, छठी और पिठोरा महोत्सव जैसे धार्मिक अवसर पर भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है।
भगवान की प्रशंसा: Jhulelal Chalisa के पाठ से भक्त भगवान झूलेलाल जी की प्रशंसा करते हैं और उनके दिव्य गुणों की स्तुति करते हैं।
भक्ति और पूजा: Jhulelal Chalisa को विशेषकर झूलेलाल जयंती, छठी और पिठोरा महोत्सव जैसे धार्मिक अवसरों पर पाठ करने से भक्तों को भगवान झूलेलाल जी की भक्ति और पूजा करने का सुअवसर मिलता है।
समुदाय का रक्षक: Jhulelal Chalisa के पाठ से भक्त को यह अनुभव होता है कि झूलेलाल जी समुदाय के रक्षक और प्रसन्नता के देवता हैं और उन्हें समुदाय की समृद्धि और कल्याण में सहायता मिलती है।
समृद्धि और सफलता: Jhulelal Chalisa के पाठ से भक्तों को समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
धर्मिक उन्नति: Jhulelal Chalisa के पाठ से भक्त की धर्मिक उन्नति और सम्मानता विकसित होती है और उन्हें धर्मिक कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने का बोध होता है।
इस प्रकार, Jhulelal Chalisa झूलेलाल जयंती, छठी, और पिठोरा महोत्सव जैसे धार्मिक अवसरों पर सिन्धी लोगों के लिए एक प्रमुख धार्मिक पाठ है, जो उन्हें झूलेलाल जी की महिमा, भक्ति, समृद्धि, सफलता, धर्मिक उन्नति, और समुदाय की समृद्धि के लिए प्रेरित करता है।