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दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं (Daridraya Dahana Shiv Stotram) Hindi PDF Download

॥ दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रंDaridraya Dahana Shiv Stotram

Daridraya Dahana Shiv Stotram हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भगवान शिव को दारिद्र्य (गरीबी) और संकट से रक्षा करने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह स्तोत्र विश्वास किया जाता है कि इसका पाठ करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और भक्त को दारिद्र्य और संकट से मुक्ति प्राप्त होती है।

Daridraya Dahana Shiv Stotram को भगवान विष्णु के भक्त विदुर द्वारा महाभारत के ग्रंथ में श्रीकृष्ण से प्राप्त किया गया था। इस स्तोत्र में भगवान शिव की शक्तियों, गुणों, और विशेषताओं का वर्णन किया गया है। इसके पाठ से भक्त का मन संतुलित होता है और उन्हें आनंद, शांति, और समृद्धि का अनुभव होता है।

Daridraya Dahana Shiv Stotram को पढ़ने से भक्त को दारिद्र्य और अर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है। इस स्तोत्र के पाठ से भक्त की भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति में सुधार होता है और उन्हें धार्मिकता और सत्य के मार्ग पर चलने का संजीवनी शक्ति मिलती है।

Source: BHAKTHI

॥ दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रंDaridraya Dahana Shiv Stotram Mantra॥

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कणामृताय शशिशेखरधारणाय ।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥१॥

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।
गंगाधराय गजराजविमर्दनाय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥२॥

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥३॥

चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।
मंझीरपादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥४॥

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय ।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥५॥

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥६॥

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥७॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥८॥

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणं ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ॥

॥ इति वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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